हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हबीबुल्लाह फरहाजाद ने हजरत फातिमा मासूमा की दरगाह में संबोधित करते हुए कहा: पैगम्बर अकरम (स.अ.व.व.) से बेहतरीन तवस्सुल उन पर सलवात और दरूद का भेजना है।
उन्होने फरमाया : क़यामत के दिन जिसके दिल में उजाला (नूर) नहीं होगा, वह जहन्नम का रहने वाला है, और नबी (स.अ.व.व.) के कथन अनुसार, "ज़िक्र सलावत दिल की रौशनी को बढ़ाता है।"
उन्होंने आगे कहा: "इमाम अली (अ.स.) के सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक हमेशा मस्जिद में लोगों को उपदेश देना था। हर रात ईशा की नमाज़ के बाद लोगो को नसीहत करते और बुलंद आवाज से कहते थे, "आखिर के लिए ज़ादे राह मोहय्या करो, क्योंकि इस दुनिया से कूच की आवाज हमेशा आ रही है।"
धार्मिक अध्ययन के शिक्षक ने कहा: इमाम हुसैन (अ. स.) बहुत मज़लूम है क्योकि शबे आशूरा को उन्होने दुश्मन से नमाज क़ायम करने की मोहलत मांगी थी लेकिन आज कैसे लोग है जो घंटो तक मातम तो करते है लेकिन सुबह की नमाज नही पढ़ते।
उन्होंने कहा: हमें हर नमाज इस तरह से अदा करनी चाहिए कि यह हमारी आखिरी नमाज हो और हमें हर दिन इस दुनिया से सैकड़ों लोगों के जाने से सबक सीखना चाहिए और अपनी उम्र का सदुपयोग करना चाहिए।
पवित्र हरम के खतीब ने कहा: सांसारिक जीवन परलोक के मार्ग को इकट्ठा करने का सबसे अच्छा अवसर है और हमें ईश्वर की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए सब कुछ करना चाहिए।
उन्होंने कहा: हमारी आजीविका का लक्ष्य ईश्वर को प्रसन्न करना और उसके काम में खर्च करना होना चाहिए और इस प्रकार यदि हम अपने परिवार पर खर्च करते हैं तो उसका लक्ष्य भी दिव्य होना चाहिए।